04 January, 2016

अज्ञान का अँधेरा

भगत नामदेव जी 

नमस्कार दोस्तों  मैं  रमजोत सिंह आज आपके लिए एक और काम की बात ले कर आया हूँ  जिसमे आपका भगवान के प्रति विश्वास  और  भी बढ़ जायेगा दोस्तों कुछ लोग भगवान पर विश्वास करते हैं पर कुछ लोग बहुत ही नास्तिक होते हैं  शायद  इस कहानी को पढ़ कर नास्तिक लोग भगवन पर विश्वास करने लगें। संत नामदेव अपने शिष्यों के साथ रोज की तरह धर्म चर्चा में लीन थे। तभी एक जिज्ञासु उनसे प्रश्न  कर बैठा - गुरुदेव, कहा जाता है कि ईश्वर हर जगह मौजूद है , तो उसे अनुभव कैसे किया जा सकता है ?  क्या आप उसकी प्राप्ति का कोई उपाय बता सकते हैं ? नामदेव यह सुनकर मुस्कराये ।  फिर उन्होंने उसे एक लोटा पानी और थोड़ा  सा नमक लाने को कहा। वहां उपस्थित शिष्यों की उत्सुकता बढ़ गई।  वे सोचने लगे, पता नहीं उनके गुरुदेव  कौन सा  प्रयोग करना चाहते हैं।  नमक और पानी के आ जाने पर नामदेव ने नमक को पानी में छोड़ देने को कहा।  जब नमक पानी में घुल गया तो नामदेव ने पूछा - बताओ क्या तुम्हे इसमें नमक दिख रहा है ? जिज्ञासु बोला - नहीं गुरुदेव ,  नमक तो इसमें पूरी तरह घुल -  मिल गया है।  नामदेव ने उसे पानी चखने को कहा।  उसने चखकर कहा - जी, इसमें नमक उपस्थित है पर वह  दिखाई नहीं दे रहा। अब नामदेव ने उसे जल उबालने को कहा।  पूरा जल जब भाप बन गया तो नामदेव ने पूछा - क्या इसमें वह दिखता है ?  जिज्ञासु ने गौर से लोटे को  देखा और कहा - हाँ , अब इसमें नमक दिख रहा है । तब नामदेव ने समझाया- जिस तरह नमक पानी में होते हुए भी दिखता नही, उसी तरह ईश्वर  भी हर जगह अनुभव किया जा सकता है मगर वह दिखता नहीं ।  और जल को गर्म करके तुमने नमक पा लिया उसी प्रकार तुम भी उचित तप और कर्म करके ईश्वर  की प्राप्ति कर सकते हो।  वहाँ  मौजूद लोग इस व्याख्या को सुनकर संत नामदेव के प्रति नतमस्तक हो गए।  


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