15 May, 2018

जीवन का सच (True about life)

नमस्कार दोस्तों मैं रमजोत सिंह आज आपके लिए काम की बात ले कर आया हूँ जो आपके जीवन में आपको बहुत काम आएगी तो पढ़िए ये कहानी जो है  एक आदमी और एक राजा की है।

एक बार की बात है एक आदमी का जीवन बहुत परेशानियों  से भरा था । वह बहुत दुखी रहता था । उसके दोस्त ने उसे बताया कि  वह राजा के पास जाए और उनसे सलाह ले । उस आदमी ने वैसा ही किया । वह भागा - भागा राजदरबार गया । उसने अपनी परेशानी राजा को बताई । राजा ने कुछ सोचा और जवाब दिया कि पहले तुम मेरा  एक काम करो। मेरे 100 ऊँटों की देखभाल करने वाला आज नहीं आया है इसलिए तुम आज रात मेरे ऊँटों के बाड़े में रुक जाओ । जब सब ऊँट बैठ जाए तो तुम भी  सो जाना। कल मैं तुम्हारी समस्या का निवारण करूँगा। उस आदमी ने वैसा ही किया। रात को जब सब ऊँट बैठ गए तो एक ऊँट खड़ा हो गया। जब उस आदमी ने उस ऊँट को बड़ी मुश्किल से बैठाया तो दूसरा ऊँट खड़ा हो गया । जब वह ऊँट बैठा तो कोई और ऊँट खड़ा हो गया। यह चीज़ पूरी रात चलती रही। वह पूरी रात सो न सका। जब सुबह राजा ने उस आदमी से पूछा कि रात को नींद कैसे आई? तो वह बोला "क्या ख़ाक नींद आई। कोई ऊँट खड़ा होता तो कोई बैठता है।"तब राजा ने उसे समझाया कि हमारा जीवन कठिनाईयो से भरा होता है। तो हमें इन परेशानियों के साथ जीना आना चाहिए और तब भी खुश रहना  चाहिए। उस आदमी को राजा की बात समझ आ गई और वह एक खुशहाल ज़िंदगी जीने लगा।

तो देखा दोस्तों आपने इस कहानी से क्या सीखा कि हमें परेशानियों से भागना नही, चाहिए बल्कि खुश रहते हुए जीवन में आने वाली सभी कठिनाइयों का सामना करना चाहिए ।
                                                                                                                   


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02 August, 2016

जानलेवा, खतरनाक चाईनीज़ मांझा

पतंग शब्द सुनते ही मानो मन इंद्रधनुष से सजे सात रंगों के आसमान में कहीँ खो जाता है। पर आजकल की भाग- दौड़ भरी जिन्दगी में भी हम इसी फिराक में रहते हैं कि जब भी मौका मिले, इस मन रूपी पतंग को आसमान में उड़ा सके, पर बात जब आती है शौकीन पतंगबाजों की तब तो बात ही कुछ और हो जाती है। कुछ ही दिनों में स्वतन्त्रता दिवस आने वाला है। पतंग के शौकिन इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं क्योकि साल में केवल इसी दिन ज्यादातर लोग पतंग उड़ाकर अपने दोस्तों और परिवार के साथ मिलकर पतंगबाजी का लुत्फ़ उठा पाते हैं।

हर किसी की कोशिश होती है की इस दिन ज़्यादा से ज़्यादा पतंगें उड़ाई जाएँ और ज़्यादा से ज़्यादा पेंच काटे जाएँ। इसीलिए हर कोई बढ़िया से बढ़िया पतंग और बढ़िया से बढ़िया मांझा खरीदता है, पर आजकल बाजार में चाईनीज़ मांझे की बहुत माँग है क्योंकि पतंगबाजी में ज्यादा से ज्यादा पेंच काटने की होड़ में पतंगबाजों की यही कोशिश रहती है कि उनकी चरखी में सबसे तेज धार का मांझा होना चाहिए। जिसके छूते ही अन्य मांझा पालक झपकते ही कट जाये, इसी प्रतिद्वन्दिता के चलते आजकल बाजारों में न काटने वाला तेज़ धार का चाइनीज़ मांझा आसानी से मिल रहा है और इसकी बिक्री व मांग भी पिछले कुछ सालों में बहुत ज्यादा बढ़ गयी है, लेकिन पतंग उड़ाने के शौकीन लोग इस बात से अनजान हैं कि इस मांझे का प्रयोग कितना घातक सिद्ध हो सकता है। इसके कहर से पक्षियों व इंसानों की जान भी जा सकती है।   

पहले तो कई बार सुना था की मांझे की चपेट में आकर कई पक्षी बुरी तरह से ज़ख्मी हो जाते हैं और बहुत से पक्षी अपनी जान तक गंवा बैठते हैं। लेकिन अब देखने में आया है की इस चाइनीज़ मांझे से हम इंसानों को भी बहुत नुकसान पहुँचता है।  पिछले दिनों मेरी आँखों के सामने दो हादसे ऐसे हुए जिन्होंने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया की इस मांझे से होने वाले नुकसान के बारे में ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को कैसे बताया जाए। आप लोगों को इस मांझे के नुकसान से अवगत कराने के लिए यह लेख लिख रहा हूँ।


  


कुछ दिन पहले शाम के समय मैं कुछ सामान लेकर घर की तरफ लौट रहा था। रास्ते में एक जगह करीब दो मंजिला ऊंचाई पर सड़क के बिल्कुल ऊपर दो मकानों की छत के बीच मांझा लटक रहा था और तभी अचानक एक कबूतर आकर उस मांझे में फंस गया, मेरे साथ कुछ और लोगों ने भी इस मंज़र को देखा, लेकिन ज़्यादा ऊँचाई और व्यस्त सड़क होने के कारण जब तक हम लोग उस कबूतर की जान बचाने के लिए कुछ सोच पाते, उससे पहले ही वह पक्षी निकलने की बजाए छटपटाकर उस मांझे में बुरी फंस गया और हमारी आँखों के सामने ही कुछ देर में उसने दम तोड़ दिया।  

वहीँ दूसरी और दूसरा हादसा तब सामने आया जब अभी एक हफ्ता पहले मैं ऑफिस से घर लौटा तो मेरे चाचा के पेट में अचानक बहुत दर्द हुआ उन्हें मुझे अपने घर के नज़दीकी सरकारी हस्पताल के एमरजेंसी वार्ड में ले जाना पड़ा। वहाँ पहुचने के कुछ देर बाद ही दो - तीन युवक एक 50 - 51 साल के सरदारजी के मुँह पर दाएँ बाएँ दोनों तरफ से कपड़े से ढककर ई-रिक्शा से लेकर एमरजेंसी वार्ड के गेट से शोर मचाते हुए डॉक्टर के कमरे में ले गए। उनकी आँखों के ऊपरी हिस्से से बहुत ज्यादा खून निकल रहा था। उन लोगों में से एक के साथ एक औरत भी थी और उसके हाथों में डेढ़ - दो  साल का बच्चा था। उस औरत से पूछने पर उसने बताया की हम लोग सड़क पर अपनी गाड़ी से कहीं जा रहे थे और ये व्यक्ति हमारी गाड़ी के आगे कुछ दूरी पर बाइक से चल रहे थे अचानक ये सड़क पर गिर पड़े। हम लोगों ने गाड़ी रोकी और इन्हें जाकर उठाया तो देखा कि रस्ते के बीच में लटक रहा मांझा इनके माथे के  निचले हिस्से में काफी अंदर तक काटकर घुस चूका था, जिससे माथे और भोहों के बीच का काफी हिस्सा मांझे से कट गया।

कुछ देर बाद डॉक्टर ने बताया की यह मांझा इतना तीखा था कि माथे के तक़रीबन आधा इंच अंदर घुस गया पर टूटा नहीं और इस मांझे के कटने से उन बुजुर्ग के माथे पर टांके लगाने पड़े पर गनीमत रही की उनकी आँखों की रौशनी बाल बाल बच गई।

दोस्तों मेरे इस लेख का मकसद पतंग और मांझे के व्यापर से जुड़े किसी भी व्यक्ति के व्यापार को हानि पहुँचाना नहीं है बल्कि आप लोगों को पतंग के इस मांझे से होने वाले  नुकसान के बारे में जागरूक करना है। मेरी आप सब लोगों से  गुज़ारिश है कि हो सके तो इस बार हम लोग पतंग न उड़ाने का संकल्प लें, क्योंकि मांझा चाहे चाइनीज़ हो या देशी मेरा मानना है कि पक्षी किसी भी तरह के मांझे में फंस सकते हैं व जान से हाथ धो बैठते हैं। कई बार यह भी देखने में आया है कि कुछ बच्चे तो इस पतंग को उड़ाने में इतने मस्त हो जाते हैं कि उनको छत के आखरी छोर का भी अंदाज़ा नहीं लगता और वे छत से गिरकर या तो गंभीर रूप से घायल हो जाते हैं या जान ही गंवा बैठते है। ऐसी ख़बरें तक़रीबन हर साल इस अगस्त के माह में अख़बार में या टी वी पर न्यूज़ चैनल में देखी जा सकती हैं। 

दोस्तों आपने भी ऐसी कई ख़बरें सुनी होंगी। लेकिन मेरी आपसे हाथ जोड़कर बिनती है की यह लेख अपने सभी दोस्तों, मित्रो एवं रिश्तेदारों को जरूर पढ़वायें या इस बारे में उन्हें भी बताएं। इसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों के साथ share करें। मेरा इस लेख को लिखने के पीछे कोई लोभ या लालच नहीं है, मैं सिर्फ आप लोगों का व बेजुबान पक्षियों का भला चाहता हूँ। 

आपका प्यारा दोस्त रमजोत सिंह





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